हनुमानजी को इन लोगों ने देखा था साक्षात


हनुमानजी को इन लोगों ने देखा था साक्षात

बजरंग बलि हनुमान जी को वानर कहा जाता है।  सबसे पहले हम ये जान ले कि वानर का मतलब बन्दर नहीं होता।  वानर का मतलब होता है जंगल में विचरण करने वाला यानि की जंगल में रहने वाला।  बजरंग बली को इन्द्र से इच्छा मृत्यु का वरदान मिला। श्री राम के वरदान अनुसार कलयुग  का अंत होने पर उन्हें उनके सायुज्य की प्राप्ति होगी। सीता माता के वरदान के अनुसार वे चिरंजीवी रहेंगे। वे आज भी अपने भक्तों की हर परिस्थिति में मदद करते हैं। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने राम भक्त हनुमानजी को साक्षात देखा है। उन्हीं में से कुछ लोगों के बारे में हम आपको बताते हैं।
   
भीम ने देखा :- 
भीम अपने बड़े भ्राता की आज्ञा का पालन करते हुए ऋषि पुरुष मृगा को खोजने निकल पड़े। खोजते-खोजते वे घने जंगलों में पहुंच गए। जंगल में चलते वक्त भीम को मार्ग में लेटे हनुमान जी दिखाई दिए। भीम ने लेटे हुए हनुमान जी को बंदर समझ कर उनसे अपनी पूंछ हटाने के लिए कहा। तब बंदर ने चुनौती देते हुए कहा कि अगर वह उसकी पूंछ हटा सकता है तो हटा दे, लेकिन भीम उनकी पूंछ हिला भी नहीं पाए। तब जाकर उन्हें एहसास हुआ कि यह कोई साधारण बंदर नहीं है। यह बंदर और कोई नहीं, बल्कि हनुमानजी थे। भीम ने यह जानकर हनुमान जी से क्षमा मांगी।
   
अर्जुन ने देखा :- 


एक दिन अर्जुन रामेश्वरम चले गए। वहां उनकी मुलाकात हनुमान जी से हुई थी। रामसेतु देखकर अर्जुन ने कहा कि मैं होता तो यह सेतु बाणों से बना देता। यह सुनकर हनुमान ने कहा कि आपके बाणों से बना सेतु एक भी व्यक्ति का भार झेल नहीं सकता। तब अर्जुन ने कहा कि यदि मेरा बनाया सेतु आपके चलने से टूट जाएगा तो मैं अग्नि में प्रवेश कर जाऊंगा। हनुमानजी ने कहा कि मुझे स्वीकार है। मेरे दो चरण ही इसने झेल लिए तो मैं हार स्वीकार कर लूंगा। बस फिर क्या था, अर्जुन ने बाणों का सेतु बनाया। हनुमान जी का पहला पग पड़ते ही सेतु डगमगाने लगा और टूट गया। यह देख अर्जुन अग्नि जलाकर खुद को जलाने लगे। तभी श्री कृष्ण प्रकट हुए और अर्जुन से बोले कि श्रीराम का नाम लेकर सेतु बनाओ। अर्जुन ने ऐसा ही किया। हनुमान जी से फिर पग रखा लेकिन इस बार सेतु नहीं टूटा। तब हनुमान ने अर्जुन से कहा कि वे युद्ध के अंत तक उनकी रक्षा करेंगे। इसीलिए कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन के रथ के ध्वज में हनुमान विराजमान हुए और अंत तक उनकी रक्षा की।

माधवाचार्य जी ने देखा :-
माधवाचार्य जी का जन्म 1238 ई में हुआ था। माधवाचार्य जी ने हनुमानजी को साक्षात देखा था। माधवाचार्य जी एक महान संत थे जिन्होंने ब्रह्मसूत्र और 10 उपनिषदों की व्याख्या की है। माधवाचार्य जी प्रभु श्री राम के परम भक्त थे। यही कारण था कि एक दिन उनको हनुमानजी के साक्षात दर्शन हुए थे। संत माधवाचार्य ने हनुमानजी को अपने आश्रम में देखने की बात बताई थी। माधवाचार्य जी 79 वर्ष की अवस्था में सन् 1317 ई. में ब्रह्म तत्व में विलीन हो गए।

 तुलसी दास जी ने देखा :-   
तुलसी दास जी के विषय में जो साक्ष्य मिलते हैं उसके अनुसार इनका जन्म 1554 ईस्वी में श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। तुलसी दास जी जब चित्रकूट में रहते थे तब जंगल में शौच करने जाते थे और शौच का जल जो शेष रह जाता था, उसे वे एक शमी वृक्ष के ऊपर डाल देते थे। जिस शमी वृक्ष के ऊपर वे जल डालते, उसके ऊपर एक प्रेत रहता था। प्रेत इस कार्य से प्रसन्न हो गया और एक दिन उसने तुलसी दास के समक्ष प्रकट होकर कहा कि आप मुझसे कुछ भी मांग लें।

तुलसी दास जी ने कहा कि प्रभु दर्शन के अलावा मेरी कोई इच्छा नहीं है। प्रेत ने कहा कि ऐसा तो मैं कर नहीं सकता लेकिन मैं एक रास्ता बता सकता हूं। वह यह कि जहां भी हरि कथा होती है, वहां हनुमान जी किसी न किसी रूप में आकर बैठ जाते हैं। मैं तुम्हें इशारे से बता दूंगा। वे ही तुम्हें प्रभु दर्शन करा सकते हैं। बस यही हुआ और तुलसी दास जी ने हनुमान जी के पैर पकड़ लिए। अंत में हार कर कुष्ठी रूप में राम कथा सुन रहे हनुमान जी से भगवान के दर्शन करवाने का वचन दे दिया। फिर एक दिन मंदाकिनी के तट पर तुलसी दास जी चंदन घिस रहे थे। भगवान बालक रूप में आकर उनसे चंदन मांग-मांगकर लगा रहे थे, तब हनुमान जी ने तोता बनकर यह दोहा पढ़ा-

'चित्रकूट के घाट पै भई संतनि भीर।
 तुलसीदास चंदन घिसे, तिलक देत रघुवीर।'

          || जय हनुमान जी ||

अति दुर्लभ एक ग्रन्थ-सीधा पड़ो तो राम कथा उल्टा पड़ो तो कृष्ण कथा

अति दुर्लभ एक ग्रन्थ-सीधा पड़ो तो राम कथा 

उल्टा पड़ो तो कृष्ण कथा 


आज हम लेकर आये है एक ऐसे अति दुर्लभ ग्रंथ के बारे में जानकारी जो शायद ही आपने सुना या पढ़ा होगा।  जी हा आज हम बता रहे है एक ऐसे ग्रंथ  के बारे में जिसके शलोको को आप चाहे सीधा पढ़े या उल्टा दोनों ही तरह से उसका अर्थ बनता है।  ऐसा भी हमारे सनातन धर्म मे है।  इसे तो सात आश्चर्यो  में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए।  यह दक्षिण भारत का एक ग्रन्थ है।  क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो राम कथा के रूप में पढ़ी जाती है और जब उसी किताब में लिखित शब्दों को उल्टा करके पढ़े तो कृष्ण कथा के रूप में होता है। जी हां, कांचीपुरम के 17 वें शदी के कवि वेंकटाध्वरी रचित ग्रन्थ "राघवयादियम्" ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है।  श्री वेंकटाध्वरि का जन्म कांचीपुरम के एक गांव अरसनीपलै में हुआ था। इन्होंने कुल 14 रचनाएं लिखी हैं जिनमें से "राघवयादवीयम्" और "लक्ष्मीसहस्त्रम्" सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। इस तरह से ऐसे  ग्रंथ को लिखना  सचमुच बहुत ही रोचक, अद्भुत, आश्चर्य, दुष्कर और दुर्लभ है।

इस रचना के सन्दर्भ में एक आश्चर्यजनक बात ये है कि अगर हम श्रीराम और श्रीकृष्ण के जीवन को देखें तो उन दोनों के जीवन भी एक दूसरे से बिलकुल उलटे हैं। श्रीराम भगवान विष्णु की १२ कलाओं के साथ जन्मे तो श्रीकृष्ण १६, श्रीराम क्षत्रिय कुल में जन्में तो श्रीकृष्ण यादव कुल में, श्रीराम को जीवन भर कष्ट भोगना पड़ा तो श्रीकृष्ण जीवन भर ऐश्वर्य में रहे, श्रीराम को पत्नी का वियोग सहना पड़ा तो श्रीकृष्ण को १६१०८ पत्नियों का सुख प्राप्त हुआ, श्रीराम ने धर्म के लिए कभी छल नहीं किया तो श्रीकृष्ण ने धर्म के लिए छल भी किया।

वैसे तो इस ग्रन्थ में केवल ३० श्लोक हैं किन्तु अगर हम श्रीराम और श्रीकृष्ण की कथाओं का अलग अलग वर्णन करें तो श्लोकों की कुल संख्या ६० हो जाती है। तो ३० श्लोकों को इस प्रकार से लिखना कि उनमे श्रीराम और श्रीकृष्ण का भाव पूर्ण रूप से रहे, अपने आप में ही एक आश्चर्य है। ये ग्रन्थ संस्कृत भाषा में लिखा गया है। शब्दों का ऐसा अद्भुत ताना बाना केवल संस्कृत में ही बुना जा सकता है। इस ग्रन्थ को ‘अनुलोम-विलोम काव्य 'भी कहा जाता है।  इन श्लोकों को सीधा-सीधा पढ़िए  तो रामकथा बनती है और विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्ण शास्त्र। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्ण शास्त्र (उल्टे यानी विलोम) के भी 30 श्लोक जोड़ के लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक।  पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है - "राघवयादवीयम।"

उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक है:

वन्दे वहं देवं तं श्रीतं रतनतारं कालं भवसा यः।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोधे वासे रा 1।

अर्थातः
मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूं, जिनके ह्रदय में सीताजी रहती है और जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्री की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया और वनवास पूरा कर अयोध्या वापिस लौटे।

अब यह श्लोक का विलोमम्: इस प्रकार है

सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः।
यस्सादलंकारं तरं तं श्रीतं वन्देंहं देवम् 1।

अर्थातः
मैं रूक्मिणी और गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रणाम करता हूं, जो सदा ही माता लक्ष्मी के साथ विराजमान है और जिनकी शोभा समस्त जवाहरातों की शोभा हर लेती है।

है ना अद्भुत। 

कौवे से जुड़े शकुन और अपशकुन का रहस्य ?

कौवे से जुड़े शकुन और अपशकुन का रहस्य ?


हमारे देश में  पुराने समय से ही शकुन और अपशकुन  पर  बहुत ध्यान दिया  जाता था।  इसी  वजह से शकुन शास्त्र की रचना की  गयी थी।  शकुन शास्त्र के अनुसार बहुत सारे  ऐसे जानवर और पक्षी होते है जिनको अलग अलग अवस्था में देखने से अलग अलग फल की प्राप्ति होती है और प्रत्येक जानवर के विचित्र व्यवहार एवं हरकतों का कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य होता है। जानवरों के संबंध में अनेको बाते  हमारे पुराणों एवं ग्रंथो में भी विस्तार से बतलाई गई है। हमारे सनातन धर्म में माता के रूप में पूजनीय गाय के संबंध में तो बहुत सी बाते आप लोग जानते ही होंगे परन्तु आज हम जानवरों के संबंध में पुराणों से ली गई कुछ ऐसी बातो के बारे में बतायेंगे जो आपने पहले कभी भी किसी से नहीं सुनी होगी। जानवरों से जुड़े रहस्यों के संबंध में पुराणों में बहुत ही विचित्र बाते बतलाई गई जो किसी को आश्चर्य में डाल सकती है।  
कौए का रहस्य 
कौए के संबंध में पुराणों में बहुत ही विचित्र बाते बतलाई गई है। मान्यता है की कौआ अतिथि आगमन का सूचक एवं पितरो का आश्रम स्थल माना जाता है।

हमारे धर्म ग्रन्थ की एक कथा के अनुसार इस पक्षी ने  देवताओ और राक्षसों के द्वारा समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत का रस चख लिया था। यही कारण है की कौए  की कभी भी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती।  यह पक्षी कभी किसी बिमारी अथवा अपने वृद्धा अवस्था के कारण मृत्यु को प्राप्त नहीं होता।  इसकी मृत्यु आकस्मिक रूप से होती है।

यह बहुत ही रोचक है की जिस दिन कौए की मृत्यु होती है उस दिन उसका साथी भोजन ग्रहण नहीं करता।   ये आपने कभी ख्याल किया हो तो यह बात गौर देने वाली है की कौआ कभी भी अकेले में भोजन ग्रहण नहीं करता। यह पक्षी किसी साथी के साथ मिलकर ही भोजन करता है।

कौए  की लम्बाई करीब 20  इंच होती है तथा यह गहरे काले रंग का पक्षी है।  जिनमे नर और मादा दोनों एक समान ही दिखाई देते है. यह बगैर थके मिलो उड़ सकता है. कौए के बारे में पुराण में बतलाया गया है की किसी भविष्य में होने वाली घटनाओं का आभास पूर्व ही हो जाता है. 

पितरो का आश्रय स्थल - श्राध्द पक्ष में कौए का महत्व बहुत ही अधिक माना गया है . इस पक्ष में यदि कोई भी व्यक्ति कौए को भोजन कराता है तो यह भोजन कौए के माध्यम से उसके पित्तर ग्रहण करते है ।शास्त्रों में यह बात स्पष्ट बतलाई गई है की कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में विचरण कर सकती है।

भादौ महीने के 16 दिन कौआ हर घर की छत का मेहमान बनता है। ये 16 दिन श्राद्ध पक्ष के दिन माने जाते हैं।  कौए एवं पीपल को पितृ प्रतीक माना जाता है।  इन दिनों कौए को खाना खिलाकर एवं पीपल को पानी पिलाकर पितरों को तृप्त किया जाता है।

कौवे से जुड़े शकुन और अपशकुन

1 . यदि आप शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हो कौए को भोजन करना चाहिए।

2 . यदि आपके मुंडेर पर कोई कौआ बोले तो मेहमान अवश्य आते है।

3 . यदि कौआ घर की उत्तर दिशा से बोले तो समझे जल्द ही आप पर लक्ष्मी की कृपा होने वाली है। कौआ यदि आपको पानी के  बर्तन में स्नान करता हुआ दिखाई दे तो भी ये समझना चाहिए कि माता लक्ष्मी की कृपा जल्दी ही आप पर होने वाली है।  

4 . पश्चिम दिशा से बोले तो घर में मेहमान आते है।

5 . पूर्व में बोले तो शुभ समाचार आता है।

6 . दक्षिण दिशा से बोले तो बुरा समाचार आता है।

7 . कौवे को भोजन कराने से अनिष्ट व शत्रु का नाश होता है।

केवल एक चमत्कारी मंत्र से ले पूरी रामायण पढ़ने का पुण्य

केवल एक चमत्कारी मंत्र से ले पूरी रामायण पढ़ने का पुण्य और सभी परेशानियों का हल।


हमारे देश में भारतवासी जहाँ भी जाते हैं, रामायण अपने साथ ले के चलते है। रामायण हमारे जीवन में विश्वास का एक वृक्ष है और यह जब किसी भी आदमी के पास रहता है तो उसको ये संतोष रहता है की मेरे पास एक रक्षा कवच के सामान है। धर्म ग्रंथो के अनुसार भी ये माना जाता है की रामायण का पाठ करने वाला व्यक्ति पुण्य फल का फल होता है और पापो से कोसो दूर हो जाता है। लेकिन बदलते समय में सम्पूर्ण रामायण का पाठ हर दिन करना हर किसी के लिए संभव नहीं है। रामायण में प्रभु श्री राम के सभी कार्यो और जीवन का सजीव वर्णन किया गया है। इसलिए लोग रामायण पढने की सलाह देते हैं कि हम भी अपने जीवन में प्रभु राम की तरह अच्छे कार्य करे और अपने जीवन को बनाए रखें। यदि प्रतिदिन केवल एक मंत्र का जप कर लेते है तो सम्पूर्ण रामायण का फल प्राप्त करते है। इस चमत्कारी मंत्र को एक श्लोकी रामायण के नाम से भी जानते है। इस एक श्लोक रामायण में प्रभु श्री राम जी के जीवन का सार है। यह शक्तिशाली मंत्र हर तरह की परेशानियों को खत्म करने की ताकत रखता है और घर में खुशहाली लाता है। 

ये चमत्कारी एक श्लोकी रामायण मंत्र है।

"आदौ राम तपोवनादि गमनं, हती मृगं कांचनम्।
वैदीही वस्त्रं जटायुमरणं, सुग्रीवसुम्भ गणानम् ।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतारणं, लंकापुरीदाहंम्।
पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हन्नम्, एतादि रामायणम्। "

यह इस मंत्र का सरल अर्थ है।
एक बार श्रीराम वनवास में गए, वहां उन्होंने स्वर्ण मृग का पीछा किया और उसका वध किया। इसी दौरान उनकी पत्नी वैदेही यानी सीताजी का रावण ने हरण कर लिया और उनकी रक्षा करते हुए पक्षीराज जटायु ने अपने प्राण गवाएं। श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता हुई। बालि का वध किया। समुद्र पर पुल बनाकर पार किया। लंकापुरी का दहन हुआ, इसके पश्चात रावण और कुंभकर्ण का वध हुआ। यह पूरी तरह से रामायण की संक्षिप्त कहानी है।

इस मंत्र जाप के फायदे
जिस घर में इस मंत्र का जाप होता है वह सुख, समरता और शांति का वास होता है और बुरे विचारों से छुटकारा मिल जाता है।] धन सम्पति का आगमन होता है। घर में नकारात्मक ऊर्जा और घर के हर प्रकार के वास्तु दोष भी खत्म हो जाते हैं। कर्ज आदि से भी मुक्ति मिलती है और मानसिक मजबूती भी मिलती है। पूजा करते समय इस मंत्र जाप करने से भगवान की कृपा जल्दी मिल जाती है।

मंत्र जपने का तरीका
इस मंत्र का जाप आप अपने घर के मंदिर में कर सकते हैं। रोज सुबह स्नान के बाद मंदिर में पूजा करें, आसन पर बैठकर भगवान श्रीराम का ध्यान करते हुए हनुमान जी के आगे एक दिया जगा ले और मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें, ज्यादा समय ना हो तो 51 या 11 बार करें। इतना भी समय ना हो तो कम से कम 7 बार अवश्य करे और श्रीराम के आशीर्वाद से अपनी दिनचर्या शुरू करें। देखिए आपके कदम चूमेंगी।
जय श्री राम 
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Reading Single Mantra Gives the Benefit of Reading Whole Ramayana and all the Problems of Life Can be Solved

Wherever Indians go in our country, Ramayana is carried with them. Ramayana is a tree of faith in our life and when it stays with any man, he has the satisfaction that I have a protective shield. According to the religious texts, it is also believed that a person reciting the Ramayana is the fruit of the virtuous fruit, and one gets away from sins. But in changing times, it is not possible for everyone to recite the entire Ramayana every day. All works and life of Lord Sri Rama are described lively in Ramayana. Therefore people recommend to read Ramayana, that we too should do good works in our life like Lord Rama and maintain our life. If you chant only one mantra daily then you get the fruits of the entire Ramayana. This miraculous mantra is also known as ONE SHLOKI RAMAYANA. The Ramayana has the essence of the life of Lord Rama. This powerful mantra has the power to eliminate all kinds of troubles and bring happiness in your life.

This miracle one Shloki Ramayana Mantra is 

"Ado Ram Tapovanadi Gamanam, Hati Mrigam Kanchanam.
Vaidhi Vastram, Jatayumaranam, Sugrivasumbha Gananam.
BaliNirdalanam Samudratarnam, LankaPuridahanam.
Paschad Ravana Kumbhakarna Hannam, Etadi Ramayanam. "

This is the simple meaning of this mantra
Once Shriram went into exile, there he chased and killed the golden deer. During this time, his wife Vaidehi i.e. Sitaji was took away by Ravana and while protecting her, Pakshiraj Jatayu lost his life. Shriram and Sugriva became friends. Killed Bali.  Made a bridge over the sea and crossed sea. Lankapuri was burnt.  After this Ravana and Kumbhakarna were killed. This is a brief story of the Ramayana as a whole..

Benefits of Chanting this Mantra
The house in which this mantra is chanted is the abode of happiness, prosperity and peace and gets rid of bad thoughts. Wealth comes. Negative energy in the house and all types of Vastu doshas of the house also disappear. Get rid of debt and mental strength become strength.. Chanting this mantra while worshiping gives the grace of God quickly.

Method of chanting
You can chant this mantra in your home temple. Every morning after bathing, worship in the temple, sit on a pedestal and meditate on Lord Shri Ram, take a lamp in front of Hanuman ji and chant the mantra. Chant the mantra at least 108 times, if there is not much time, do it 51 or 11 times. If you do not have that much time, then do at least 7 times and start your daily routine with the blessings of Shri Ram. See success will comes to your footsteps very early. 
Jai Shree Ram

रामायण में जानिये कछुए की एक रोचक कहानी

रामायण में जानिये कछुए की एक रोचक कहानी

आप सबने कछुए और खरगोश की कहानी तो सुनी ही होगी।  लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य  होगा की रामायण में भी  कछुए की एक कहानी है।  जानिये इसके पीछे की रामायण में अनसुनी रोचक कथा :- 

पुराणों के अनुसार भगवान राम को गंगा पार कराने वाले केवट पूर्वजन्म में कछुआ थे और श्रीहरि के अनन्य भक्त थे। मोक्ष पाने की इच्छा से उन्होंने क्षीरसागर में भगवान विष्णु के चरण स्पर्श करने की कई बार कोशिशें की लेकिन असफल रहे। यहाँ तक कि सृष्टि की रचना हो गई और सतयुग बीत जाने के बाद त्रेता युग आ गया। इस मध्य उस कछुए ने अनेक बार अनेक योनियों में जन्म लिया और प्रत्येक जन्म में भगवान की प्राप्ति का प्रयत्न करता रहा । अपने तपोबल से उसने दिव्य दृष्टि को प्राप्त कर लिया। कछुए को पता था कि त्रेता युग में वही क्षीरसागर में शयन करने वाले विष्णु राम का और वही शेषनाग लक्ष्मण का व वही लक्ष्मीदेवी सीता के रूप में अवतरित होंगे तथा वनवास के समय उन्हें गंगा पार उतरने की आवश्यकता पड़ेगी । इसीलिये वह भी केवट बन कर वहाँ आ गया था ।

इस बार केवट इस अवसर को किसी भी प्रकार हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। उसे याद था कि शेषनाग क्रोध कर के फुँफकारते थे और मैं डर जाता था । अबकी बार वे लक्ष्मण के रूप में मुझ पर अपना बाण भी चला सकते हैं, पर इस बार उसने अपने भय को त्याग दिया था।  लक्ष्मण के तीर से मर जाना उसे स्वीकार था पर इस अवसर को खो देना नहीं । केवट ने कहा - हे राम,  मुझे आपकी दुहाई और दशरथजी की सौगंध है, मैं आपसे बिल्कुल सच कह रहा हूँ । भले ही लक्ष्मणजी मुझे तीर मार दें, पर जब तक मैं आपके पैरों को पखार नहीं लूँगा,  मैं पार नहीं उतारूँगा ।   केवट के प्रेम से लपेटे हुये अटपटे वचन को सुन कर करुणा के धाम श्री रामचन्द्रजी जानकी और लक्ष्मण की ओर देख कर हँसे । जैसे वे उनसे पूछ रहे हैं- कहो, अब क्या करूँ, उस समय तो केवल अँगूठे को स्पर्श करना चाहता था और तुम लोग इसे भगा देते थे पर अब तो यह दोनों पैर माँग रहा है !
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केवट बहुत चतुर था । उसने अपने साथ ही साथ अपने परिवार और पितरों को भी मोक्ष प्रदान करवा दिया ।चरणों को धोकर पूरे परिवार सहित उस चरणामृत का पान करके उसी जल से पितरों का तर्पण करके अपने पितरों को भी भवसागर से पार कर फिर आनन्दपूर्वक प्रभु श्री रामचन्द्र को गंगा के पार ले गया । 

यह उसी समय का प्रसंग है  जब केवट भगवान् के चरण धो रहे है ।  बड़ा प्यारा दृश्य है।  भगवान् का एक पैर धोकर उसे निकलकर कठौती से बाहर रख देते है, और जब दूसरा धोने लगते है,  तो पहला वाला पैर गीला होने से जमीन पर रखने से धूल भरा हो जाता है।  केवट दूसरा पैर बाहर रखते है, फिर पहले वाले को धोते है, एक-एक पैर को सात-सात बार धोते है । केवट ये सब देख देख कर कहता है की प्रभु एक पैर कठौती में रखिये, दूसरा मेरे हाथ में रखिये।  भगवान केवट से बोले, ऐसे तो मै गिर जाऊँगा।  केवट बोला चिंता क्यों करते हो भगवन ,दोनों हाथो को मेरे सर पर रख खड़े हो जाईये फिर नहीं गिरोगे।  भगवान् केवट से बोले - भईया केवट,  मेरे अंदर का अभिमान आज टूट गया। केवट बोला - प्रभु ! क्या कह रहे है ?. भगवान् बोले - सच कह रहा हूँ केवट, अभी तक मेरे अंदर अभिमान था, कि मैं भक्तों को गिरने से बचाता हूँ, पर आज पता चला कि, भक्त भी भगवान् को गिरने से बचाता है । 
जय राम जी की।।

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बिना गैस बिना कढ़ाई बनाएं स्वादिष्ट मिठाई जो सभी के मन भाई

बिना गैस बिना कड़ाही बनाएं स्वादिष्ट मिठाई जो सभी के मन भाई 



नारियल पेठा लड्डू एक ऐसी मिठाई जो बड़ी आसानी से और कम समय में बनाई जा सकती है।  स्वाद में ऐसी कि बच्चे, बड़े-बूढ़े सभी के  मन भाई और नरम इतनी की होठो  से खा सके।  पेठे के लड्डू को आप किसी भी शुभ अवसर पर या किसी भी पार्टी के दौरान घर पर आसानी से बना सकते हैं और परिवार और मेहमानों का दिल जीत सकते हैं।  आप भी झटपट से बनने वाली ये मिठाई बनाएं और इसकी मिठास में खो जाएं।  तो आइए बनानी शुरू करते हैं।  इसके लिए देखते हैं सामग्री :

सामग्री 

  • पेठा (मिठाई वाला) : आधा किलो 
  • नारियल  का बुरादा : 300 ग्राम
  • इलायची पाउडर :   आधा चम्मच
  • लड्डू वाला पीला रंग : आधा चम्मच
बनाने की विधि 

सबसे पहले एक बड़े बर्तन में पेठा  ले।   उसको कद्दूकस कर लें।  फिर कद्दूकस किए हुए पेठे में नारियल का बुरादा डाल दे।  इलायची पाउडर और खाने का रंग भी डाल दें।  अब सभी सामग्री को अच्छी तरह मिला लें और अपने मनपसंद आकार में उसको बना दें।  लड्डू अपनी पसंदानुसार थोड़े छोटे या बड़े बना सकते हैं।  इससे आप लड्डू  व् पेड़ा भी बना सकते हैं।  आखिर में नारियल बुरादा एक प्लेट में लें और बनाए हुए लड्डू को उस पर डालकर रोल कर दें ताकि बुरादा लड्डू के चारों ओर चिपक जाए।  इससे दो फायदे होंगे पहला लड्डू में ज्यादा गीलापन नहीं रहेगा और दूसरा हाथों में पेठे की चासनी नहीं लगेगी।   पेठे की मिठाई ज्यादा ,मीठी भी  नहीं लगेगी।   इस  मिठाई को सजाने के लिए प्रत्येक  मिठाई  पर ऊपर से काजू, बादाम या  किसमिस में से कोई भी एक चीज लगाकर सजाएं।  


तो लीजिये आपकी मिठाई तैयार है। आप इसको व्रत में भी खा सकते हैं।जितने ये देखने में अच्छे लग रहे हैं, खाने में उससे भी बेहतरीन है।  आप इन पेठा लड्डुओं को फ्रिज में रखकर 8 से 10 दिन तक खा सकते हैं।  

आप इस मिठाई को बनाइए, खाइए और आनंद लीजिए।  




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Make Tasty Coconut Sweets without Gas without Frying

Coconut Petha Laddu is a dessert that can be made easily and in a short time. Taste in such a way that children and old are very much like its taste.  Too soft that one can eat it with their lips. You can easily make Pethe Ke Laddu at home on any auspicious occasion or during any party and win the hearts of family and guests. You too can make these sweets made instantly and get lost in its sweetness. So let's start making. The ingredients used are:

Ingredients

Petha (Sweet):   1/2  kg (Half kg)
Coconut powder: 300 grams
Cardamom Powder: Half  teaspoon
Laddu yellow color: Half teaspoon

Recipe

First of all take Petha in a big pot and then Grind it. Then add the coconut powder to the grinded Petha. Also give cardamom powder and food color. Now mix all the ingredients well and make them into your desired shape. Laddus can be made small or big as per your choice. You can also make laddus from this. Finally, take coconut powder in a Plate and roll the prepared Laddus over it so that the coconut powder sticks around the Laddus. This will have two benefits: First, there will not be much wetness in the laddus and second Pethe's sauce will not be in the hands. To decorate this dessert, decorate each dessert by applying any one of the cashew Nuts, Almonds or Raisins.

So take your dessert is ready. You can eat it in your Fast as well also. These laddoos are not only looks attractive but also very sweet in taste also. You can preserve these Petha Laddus in the refrigerator and eat them for 8 to 10 days.

Make, eat and enjoy this dessert.

क्या श्रीलंका में होगा IPL ? (Will there be IPL in Sri Lanka?)

क्या श्रीलंका में  होगा IPL ? 



आईपीएल कब क्या हुआ ?
पहले से तय कार्यक्रम  -  29 मार्च से 24 मई 
स्थगित हुआ - 13 मार्च से 15 अप्रैल तक 
फिर स्थगित हुआ - 15 अप्रैल से 03 मई तक 
अनिश्चित काल के लिए स्थगित - 15 अप्रैल  

श्रीलंका क्रिकेट (एसएलसी) अभी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए गए इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल)  का  आयोजन कराने पर विचार कर रहा है।  आईपीएल पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 29 मार्च से 24 मई के बीच आयोजित होने जा रहा था लेकिन कोरोना वायरस के कारण इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।  बोर्ड चीजें सामान्य होने के बाद ही इसका आयोजन करना चाहता है। 


बीसीसीआई अभी सितंबर-अक्टूबर या अक्टूबर-नवंबर में आईपीएल आयोजित कराने का इच्छुक हैं । आईपीएल को 2009 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित कराने के फैसले में शामिल रहे बीसीसीआई के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि मई में शशांक मनोहर के आईसीसी चेयरमैन पद से हटने के बाद तस्वीर बदल सकती है।  अधिकारी से पूछा गया कि श्रीलंका से पेशकश  मिलने पर उसका रवैया क्या हो, इस पर  इस सवाल को वो नकार गए  और उन्होंने कहा श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड  से अभी तक इस बारे में कोई प्रस्ताव नहीं मिला तो,  फिर इस पर चर्चा का सवाल ही नहीं उठता। 

श्रीलंका क्रिकेट अभी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए गए इंडियन प्रीमियर लीग आईपीएल के आयोजन का इच्छुक है लेकिन भारतीय क्रिकेट बोर्ड के प्रभावशाली व्यक्ति ने कहा कि अभी कोविड-19 महामारी  से जूझ रही दुनिया में इस तरह के प्रस्ताव की चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है।  श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड  के अध्यक्ष ने गुरुवार को कहा था कि श्रीलंका बोर्ड इस टूर्नामेंट का आयोजन अपने देश में कराने के लिए तैयार है, जहाँ कोविड-19 से संक्रमित लोगों की संख्या बहुत कम है और भारत की तुलना वहां चीजें जल्द सामान्य होने की संभावना है । बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा "जब दुनिया में सब कुछ ठप पड़ा है तो बीसीसीआई कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है"।  श्रीलंका में अभी कोविड-19 के बहुत कम  मामले हैं जबकि भारत में की संख्या 13000 के पार पहुंच चुकी है । भारत में 440 के करीब मौत हो चुकी है। 

श्रीलंका क्रिकेट टीम तीन मैदानों गाल, कैंडी और प्रेमदासा स्टेडियम में मैचों का आयोजन कर सकता है। उसे जुलाई में भारत की तीन वनडे और तीन टी-20 की मेजबानी करने की तुलना में आईपीएल के आयोजन से अधिक लाभ होगा। 

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Will there be IPL in Sri Lanka?


What and when happened with IPL?
Predetermined schedule - March 29 to May 24
Postponed - 13 March to 15 April
Then adjourned - 15 April to 03 May
Adjourned sine die - April 15

Sri Lanka Cricket (SLC) is currently considering holding the Indian Premier League (IPL), which has been postponed indefinitely. The IPL was scheduled to be held from March 29 to May 24 as per the pre-scheduled programme but has been postponed indefinitely due to Corona virus. The board wants to organize it only after things become normal.

The BCCI is currently keen on conducting IPL in September-October or October-November. A former BCCI official who was involved in the decision to hold the IPL in South Africa in 2009 said that the picture could change after Shashank Manohar stepped down as ICC chairman in May. The official was asked what his attitude should be when he got an offer from Sri Lanka, he declined the question and he said that if no proposal has been received from the Sri Lankan Cricket Board yet, then there is no question of discussing it .

Sri Lanka Cricket is now keen to hold the Indian Premier League IPL which has been postponed indefinitely, but an influential person of the Indian Cricket Board said that there is no point in discussing such a proposal in the world currently facing the Kovid-19 epidemic. The Sri Lankan Cricket Board chairman said on Thursday that the Sri Lankan Board is ready to organize the tournament in its country, where the number of people infected with Kovid-19 is very less and things are likely to return to normal sooner than India. . A senior board official said on the condition of secrecy "when everything in the world has come to a standstill, the BCCI is in no position to say anything". There are very few cases of Kovid-19 in Sri Lanka while the number in India has crossed 13000. Nearly 440 have died in India.

The Sri Lankan cricket team can host matches at the three grounds Gal, Kandy and Premadasa Stadium. It will benefit more from the IPL event than India hosting three ODIs and three T20s in coming July month.