जानिये कृष्ण की नगरी वृन्दावन में बनने जा रहे दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिर के बारे में रोचक जानकारी
कृष्ण की पवित्र नगरी मथुरा-वृंदावन दुनिया भर में मशहूर है और देश-विदेश के लाखों पर्यटक यहां घूमने आते हैं'। कृष्ण की नगरी में वृंदावन में बनने जा रहा दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर और इसी के साथ यह दुनिया की सबसे ऊंची इमारत भी होगी। वृंदावन में बनने जा रहे इस मंदिर का नाम चंद्रोदय है, जोकि दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा और मुकेश अंबानी के एंटीलिया से भी ऊंचा बनाया जा रहा है। दुनिया में यह अब तक का सबसे विशाल, भव्य और ऊंचा मंदिर वृंदावन में बनाया जा रहा है। यह मंदिर कुतुब मीनार से भी तीन गुना उंचा होगा।
वृंदावन में बन रहे देश के सबसे उंचे चंद्रोदय मंदिर का निर्माण साल 2022 तक पूरा हो जाने की संभावना है। इसे इस्काॅन की बैंगलोर इकाई के द्वारा कुल 700 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित किया जा रहा है। इस मंदिर के मुख्य आराध्य देव भगवान कृष्ण होंगे। इस मंदिर के 20 एकड़ क्षेत्र में भगवान कृष्ण पर आधारित देश के पहले थीम पार्क का भी निर्माण किया जाएगा। इस मंदिर की आधारशिला 16 नवंबर 2014 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रखी थी तथा उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंदिर का शिलान्यास किया था। मंदिर का भूमि पूजन मथुरा की सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी द्वारा किया गया था। जानिये वृन्दावन में बनने वाले मंदिर के बारे में कुछ रोचक जानकारी :
बताया जा रहा है कि इस्कॉन संस्था द्वारा वृंदावन में बनाया जाने वाले इस 70 मंजिला चंद्रोदय मंदिर की ऊंचाई 210 मीटर होगी और यह एक पिरामिड के आकार में बनाया जाएगा. इसे बनाने की तैयारियां 2006 से की जा रही थीं। दिल्ली में 72.5 मीटर के कुतुब मीनार से इस इसकी ऊंचाई 3 गुना ज्यादा होगी, जिस के कारण पूर्ण होने पर, यह विश्व का सबसे ऊंचा धर्मालय बन जाएगा। पूरी बिल्डिंग में 511 पिलर होंगे। इन पर पूरी बिल्डिंग का वजन 5 लाख टन होगा, जबकि ये पिलर नौ लाख टन वजन सह सकते हैं। मंदिर के लिए हाई स्पीड लिफ्ट तैयार की जा रही है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यदि किसी तूफान की वजह से बिल्डिंग एक मीटर झुक भी गई तो भी लिफ्ट सीधी चलती रहेगी। गति और दिशा में परिवर्तन नहीं होगा।
इस मंदिर की खास बात यह है कि इसकी केवल ऊंचाई ही नहीं बल्कि गहराई भी अधिक होगी, ताकि नींव भी उतनी ही मजबूत रहे। यह इमारत लगभग 55 मीटर गहरी होगी और इसका आधार 12 मीटर तक ऊंचा होगा। जबकि दुबई स्थित दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा की गहराई मात्र 50 मीटर है। अत: चंद्रोदय मंदिर की गहराई बुर्ज खलीफा से भी 5 मीटर अधिक है। प्राकृतिक आपदा के लिहाज से भी इसे काफी मजबूत बनाया जा रहा है और 8 रिक्टर स्केल से अधिक तीव्रता का भूकंप भी इसे क्षति नहीं पहुंचा सकेगा। इसके अलावा इसमें प्रयोग किए जाने वाले कांच और अन्य सामान भी भूकंप रोधी होंगे। यह 170 किलोमीटर की तीव्रता के तूफान को भी झेलने में सक्षम होगा।
इसके गगनचुम्बी शिखर के अलावा इस मंदिर की दूसरी विशेष आकर्षण यह है की मंदिर परिसर में 26 एकड़ के भूभाग पर चारों ओर 12 कृत्रिम वन बनाए जाएंगे, जो मनमोहक हरेभरे फूलों और फलों से लदे वृक्षों, रसीले वनस्पति उद्यानों, हरे घास के मैदानों, पेड़ों की सुंदर खा़काओं, पक्षी गीत द्वारा स्तुतिगान फूल लादी लताओं, कमल और लिली से भरे साफ पानी के पोखरों एवं छोटी कृत्रिम पहाड़ियों और झरनों से भरे होंगें, जिन्हें विशेष रूप से पूरी तरह हूबहू श्रीमद्भागवत एवं अन्य शास्त्रों में दिये गए कृष्णकाल के विवरण के अनुसार ही बनाया जाएगा ताकि यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को कृष्णकाल के ब्रज का आभास कराया जा सके। पूरी तरह से तैयार होने के बाद यह मंदिर कृष्ण भक्तों की वृंदावन की कल्पना को पूरी तरह से साकार करेगा। यमुना के स्वरूप में कृत्रिम झरने का निर्माण किया जाएगा जिसमें पर्यटकों को नौकायन का अवसर भी मिलेगा। बच्चों को भी आनंद की अनुभूति होगी क्योंकि वहां जंगल में कृष्ण-लीला देखने को मिलेगी।
मंदिर की सबसे ऊंची मंजिला का नाम ब्रज मंडल दर्शन रखा गया है। यहां से ब्रज के 76 धार्मिक स्थानों और ताजमहल तक को दूरबीन से देखा जा सकेगा। पूरे मंदिर को घूमने में श्रद्धालुओं को तीन से चार दिन लगेंगे। परंपरागत द्रविड़ और नगर शैली में बनाया जा रहा यह मंदिर, 200 सालों में अब तक का सबसे मॉडर्न मंदिर होगा, जिसमें 4डी तकनीक द्वारा देवलोक और देवलीलाओं के दर्शन भी किए जा सकेंगे। इसके अलावा इसमें श्रीकृष्ण के जीवन लीलाओं को जानने के लिए लाइब्रेरी तथा अन्य माध्यम भी होंगे।
इस व्यापक परियोजना के साथ ब्रज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए अक्षय पात्र मध्याह्न भोजन कार्यक्रम और वृंदावन की विधवाओं के लिए कल्याणकारी कार्यक्रमों को और मजबूत बनाने का उद्देश्य है। इसके साथ ब्रज के विभिन्न स्थलों का कायाकल्प किया जाएगा और यमुना नदी पर ध्यान दिया जाएगा।



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